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तुष्टिकरण की हक़ीक़त

मेरा भारत महान
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इस लेख का उद्देश एक सकारात्मक वातावरण और सोच बनाना है जिसका उद्देश्य भारत मे आपसी विश्वास और भाईचारे को बढ़ाना है !!
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भारतीय राजनीति मे इस से ज़्यादा किसी भी शब्द का दुरुपयोग नहीं किया गया होगा एक तूफान ऐसा खड़ा किया जाता है की मानो देश की सारी समस्याओ की वजह अल्पसंख्यको का तुष्टिकरण है और सरकारे अपनी सारी पूंजी और शक्ति बस अल्पसंखयकों पर ही लगा रही है और हर तरह से उनको ही खुश करने पर तुली है !! अब ज़रा इस दुष्प्रचार की हक़ीक़त देखे !!

 

आज़ादी के वक्त मुसलमानो की अच्छी खासी संख्या सरकारी नौकरियो मे थी, परंतु सरकार की तुष्टीकरण नीति के तहत यह साल दर साल कम होती गयी और 2006 की एक रिपोर्ट के अनुसार यह 5% से भी कम है इस मे भी 98.7% निम्न श्रेरी के पद पर है !!

 

मुसलमानो मे शिक्षा का प्रतिशत भी अन्य वर्गो से कहीं कम है

 

रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट मे मुसलमानो और ईसाइयो को रोजगार और शिक्षा मे 15% आरक्षण देने की सिफारिश किया था, उसके बाद सच्चर आयोग ने स्थिति और साफ कर दिया, शिक्षा मे यह समुदाय राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है, 25% से ज़्यादा 6-14 वर्ष के बच्चे या तो स्कूल जाते नहीं या स्कूल छोड़ देते है ! कालिज मे स्थिति यह है की 50 स्टूडेंट मे 1 मुस्लिम होता है यानि की 1:50 का अनुपात है ! मुसलमानो मे शिक्षा के प्रति उदासीनता के दो प्रमुख कारण है :

 

1) यह भावना की नौकरी तो मिलनी है नहीं तो पढ़लिख कर क्या करना !!

 

2) अधिकांश मुस्लिम्स आथिक रूप से इतने मज़बूत नहीं होते की बच्चो को स्कूल भेज सकते वह उनको छोटे मोटे कामो मे लगा देते है ताकि आय का एक साधन बन जाए, यही कारण है की इस समुदाय के लोग कारीगर आदि के कामो मे ज़्यादा दिखाई देते है !!

 

अब क्यो की यह अशिक्षित होते है और एक घुटन भरे महोल मे रहते है, यह पैसा कमाने की लालच मे आपराधिक गतिविधियो मे शामिल हो कर अपनी बर्बादी के बाकी समान भी कर लेते है !! यही कारण है की जेलो मे इनकी संख्या पहले नंबर पर है !! इन के इलाको मे आप को स्कूल कम और पुलिस चौकिया ज़्यादा मिलेंगी !!

 

अब हम उन बिन्दुओ को लेते है जिसको तुष्टिकरण के तहत देखा जाता है !!

 

हज सब्सिडी : सरकार हज पर जो सब्सिडी देती है, उसका फाइदा कुछ ही लोगो को मिलता है और मुस्लिम समाज का इस से कोई भला नहीं होता, यह एक धार्मिक काम है और भारत मे अन्य धर्मो को भी ऐसी सुविधाए हासिल है!! तुष्टीकरण का सब से ज़्यादा तूफान खड़ा करने वाले जब खुद सत्ता मे थे तो इसको ख़त्म क्यो नहीं किया !

 

आतंकवाद पर नरमी : आम मुस्लिम का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है वो भी अन्य भारतीयो की तरह 2 वक्त की रोटी के लिया संघर्ष कर रहा है, यह नारा की “हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता लेकिन हर आतंकवादी मुसलमान होता है” अब बेमाने हो चुका है ग़ैर मुस्लिम भी आतंकवाद मे शामिल है यह सब जानते है !! अब अफजल गुरु को फाँसी न देने से मुसलमानो का क्या भला होगा यह बात समझ से परे है,क्या कभी किसी मुसलमान ने यह माँग किया है या अफजल पर फूल आदि बरसाए है !

 

मदरसो आदि को आर्थिक पैकेज : केवल 3% मुस्लिम बच्चे ही मदरसो का रुख करते है वह भी वही जिनके घरो मे इतना पैसा नहीं होता है की स्कूल भेज सके, कोई भी सम्पन्न परिवार अपने बच्चो को मदरसे पढ़ने नहीं भेजता है, इस के अलावा सरकार अन्य स्कूलो और शिक्षा योजनाओ पर भी लाखो रुपया खर्च करती है !!

 

यदि जैसा प्रचार किया जाता है उसका आधा भी हक़ीक़त होता तो शायद मुसलमानो या अल्पसंखयकों की यह स्थिति न होती !!

 

मुसलमानो के लिया पर्सनल ला : मुसलमानो की तरह अन्य धर्मो की भावनाओ का ख़याल भारतीय संविधान निर्माताओ के रखा था और मुस्लिम पर्सनल ला की भाति अन्य धर्मवलंबियों की भावनाओ का संविधान मे पूरा पूरा स्थान है जैसे Hindu Marriage Act (1955), Hindu Succession Act (1956), Hindu Minority and Guardianship Act (1956), and Hindu Adoptions and Maintenance Act (1956). आदि!  यही हमारे देश और संविधान की विशेषता है, यहाँ सभी धर्मो की भावनाओ और नियमो का ध्यान रखा जाता है केवल हिंदु या मुस्लिम नहीं बल्कि ईसाई और पारसियों के लिया भी पारिवारिक मामलो मे उनकी धार्मिक भावनाओ को संविधान ने उचित स्थान दिया है ! ईसाई धर्म के मानने वालों के लिए पारिवारिक मामलो मे अलग कानून है जो अन्य किसी पर लगा नहीं  होता है , यही अनेकता मे एकता की भावना है !

 

एक बात और यह सभी पर्सनल ला सिर्फ पारिवारिक, शादी बियाह और उत्तराधिकार के नियमो पर ही लागू होते है !! क्रिमिनल केसेस मे सब के लिए एक ही कानून है चाहे वह जिस धर्म का मानने वाला हो!

 

– धारा 370 :  कश्मीर को यह धारा विशेष दर्जा देती है! भारत के बाकी हिस्से मे रहने वाले अल्पसंखयकों  को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है ! कश्मीर के अलावा भारतीय संविधान मे कई अन्य राज्यो को भी विशेष दर्जा दिया है जैसे :

 

Article 371 contains special provisions for Maharashtra and Gujarat.
Articles 371A for Nagaland, 371B for Assam, 371C for Manipur, 371D and E for Andhra Pradesh, 371F for Sikkim, 371G for Mizoram, 371H for Arunachal Pradesh, and 371(I) for Goa   

 

इस तरह क्यो की भारत मे अनेकों तरह के लोग, धर्म और संस्कृतिया है, भाषा है भारतीय संविधान निर्माताओ ने सभी परिस्थितियो को ध्यान मे रख कर नियम कानून बनाए है , इसमे  किसी के तुष्टिकरण जैसी बात नहीं बल्कि सब को एक सीमित दाएरे मे रख कर अधिकार देने का प्रयास किया गया था !

 

अब समय आ गया है की सारे भारत वासी इस कुप्रचार से बाहर निकाल कर देश के विकास के लिए काम करे !!!

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