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जो बात मैंने अपने लेख मे कुछ महीने पहले लिखी थी, 7 अगस्त को बीबीसी ने उसकी पुष्टि कर दी !! मैंने लिखा थे की वास्तव मे आतंकवाद से सबसे ज़्यादा पीड़ित और कोई नहीं बल्कि मुस्लिम खुद ही है,, आतंकवादी भी वही चाहते है,, वास्तव मे यह एक ऐसा खेल है जिसको समझना आज बहुत ज़रूरी हो चुका है,, कुछ शक्तिशाली देश पैसे और ताकत के बल पर मुस्लिम युवाओ को धर्म के आधार पर बहकाते है, उनसे मुसलमानो (ज्यादातर) को मरवाते है,, इस से उनके कई मक़सद हल होते है , क्योकि मरने वाले भी मुस्लिम और मारने वाले भी मुस्लिम, आरोपी भी मुस्लिम, फिर इसकी आड़ मे यह तरह तरह के नियम कानून बनाते है और मुसलमानो पर किए जाने वाले हर ज़ुल्म को जाएज करार देते है चाहे वह आबु ग़रीब जेल हो , गुवंतनामों हो जहा मानवाधिकार के नियम लागू नहीं होते या ड्रोन अटैक हो जिसमे हजारो निर्दोष और ग़रीब लोगो की जाने गयी हो !!कृपया मुझे बताए की ड्रोन अटैक और आत्मघाती हमलावर मे क्या फर्क है ??
जो लोग इस्लाम और कुरान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार कहते है ,, वह अगर ज़्यादा नहीं 50-60 साल पीछे जाएगे तो देखेगे की हालात आज कल जैसे न थे,, यहाँ तक की अगर आप पुरानी हिन्दी फिल्मे देखे तो भी आप को मुसलमान का अच्छा किरदार ही देखने को मिलेगा ( फिल्मे समाज का आईना होती है )
फिर अचानक क्या इस्लाम या कुरान बदल गया ?? नहीं ऐसा नहीं है,, सच्चाई यह है की दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पश्चिमी देशो की नीतिया ही आज के लिए जिम्मेदार है, कुछ उदाहरण जो मेरी समझ मे आते है जैसे की
1) भारत का विभाजन : 1) भारत मे सब मिलजुल कर रहते थे एक सांझा संस्कृति थी एक आम आदमी को इस से मतलब नहीं था की राजा कौन है हिन्दू या मुसलमान,, जो कुछ झगड़े थे राजाओ के थे और राज्य के विस्तार के थे नहीं तो क्या वजह थी की औरंगजेब के सेना मे राजपूत और शिवा जी की सेना मे पठान थे, क्या यह साबित नहीं करता है की इन लड़ाइयो का धर्म से कोई लेने देना नहीं था बल्कि हुकूमतों से था,, आम आदमी मिलजुल कर रहते थे और सूफी संतों के वहाँ माथा टेकते थे,, शिर्डी के साई बाबा कौन थे हिन्दू या मुस्लिम आखिर तक कोई नहीं जान पाया, कबीरदास, बाबा फरीद , ख्वाजा साहब क्या इनहोने अपने को सिर्फ किसी एक धर्म वालों के लिए खास रक्खा था,, नहीं ,, लेकिन अंग्रेजो को यह कहाँ पसंद था देश मे व्यापारी बनकर आए ,, कब्जा किया और जाते जाते भारत को दो टुकड़ो मे बाटा, लाखो लोगो की जाने गयी, औरतों की इज्ज़त लूटी गयी,, इन सब का शिकार कौन बना, एक आम आदमी जो आज तक उस ही तरह से शोषित है जैसे पहले था !! खून की इस बुनियाद पर पाकिस्तान ( कितना पाक ?) के रूप मे एक ऐसा विष व्रक्ष बोया गया की आज तक हम उस विष और जख्म को महसूस कर रहे है! पता नहीं हमारी और कितनी नसले इसकी शिकार होंगी !!
2) फिलस्तीन मे इस्राइल नामक देश बसाया और वहाँ के लोगो के लिए शांति को हमेशा हमेशा के लिए दफन कर दिया अब यदि कोई फिलस्तीनी अपनी ज़मीन वापस चाहे तो वह चरमपंथी,, शायद आप को मालूम हो की गाज़ा को दुनिया का सबसे बड़ा “खुला जेल” कहा जाता है !!
यह सब मुमकिन तब ही हुआ जब इन देशो ने मुसलमान हुक्मरानो को अपने विश्वास मे लिया और आम जनता को परेशानियो मे जीने के लिए मजबूर कर दिया !!
3)रूस को तोड़ने के लिए अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान का इस्तेमाल किया वहाँ के युवको को इस्लाम के नाम पर भरमाया, भ्रष्ट हुक्मरानो को पैसे से खरीदा और आगे किया,, आज के यह आतंकवादी कभी पश्चिमी मीडिया मे मुजाहिदीन और हीरो कहलाते थे,, इनके आक़ाओ को पैसे और हथियार से मालामाल किया, अब जब काम हो गया तो इनको खत्म करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान पर हमला ज़रूरी था!! 9/11 के हमलावर सऊदी थे (वह भी स्पष्ट नहीं है क्योकी उनमे 4 या 5 तो अभी तक ज़िंदा है और उनकी पहचान चुराई गयी थी ), ट्रेनिंग अमेरिका मे लिया था लेकिन हमला हुआ अफ़ग़ानिस्तान और इराक पर !!
4) इराक पर हमला : यदि आप बीबीसी का ग्राफ देखे तो सब से ज़्यादा मौते इराक और अफ़ग़ानिस्तान मे हुई है !! इराक़ जो अरब देशो मे सबसे आधुनिक और विकसित राष्ट्र था, सद्दाम खुद इस्लाम धरम का ज़्यादा पालन नहीं करता था न ही इराक़ मे ऐसे नियम थे,, महिलाए आधुनिक वेश भूषा मे घूमती दिखाई देती थी,, आज वह आतंकवाद से सबसे पीड़ित है !! विनाशक हथियारो का बहाना लेकर हमला किया और पूरा देश बर्बाद कर डाला पर हथियार एक भी न मिला !!
बहरहाल हर अंधेरे के बाद सवेरा होता है,, हो सकता है की मुस्लिम समाज अपना आत्म मंथन करे और जाने की वह किस तरह इस्तेमाल किए जा रहे है और अपने साथ साथ अपने समाज और अपने धर्म को भी कितना नुकसान कर रहे है, वह न तो दुनिया मे सम्मान से जी पा रहा है और इस तरह धरती पर फसाद फैलाने की वजह से मरने के बाद भी कोई अच्छा ठिकाना नहीं मिलना है ,, अल्लाह ने कुरान मे बहुत जगह कहा है की ज़मीन पर फसाद ने फैलाओ !! फिर क्यो समाज कुछ लोगो के बहकावे मे आ कर अपनी दीन दुनिया को बर्बाद कर रहा है !!!
जहां तक अपने देश भारत की बात है ,, यहाँ एक बार फिर इनहोने बहुराष्ट्रीय कंपनियो के रूप मे फिर से व्यापारी बनकर प्रवेश करना शुरू किया है,, हमारी संस्कृति को तो दूषित कर ही चुके है,, युवाओ को मानसिक रूप से ग़ुलाम से अंग्रेज़ियत का गुलाम बनाया जा चुका है,, हिन्दी बोलना बैक्वार्ड माना जाता है अब देखे और किस तरह ग़ुलाम बनाते है !!
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