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आज कल अखबारो मे जो सबसे चिंतनीय समाचार छाया है वह है आतंकवादी संगठनो द्वारा सिख समाज को दी गयी धमकी,, हालांकि घाटी मे मुस्लिम नेताओ ने और मुख्य मंत्री मे सिख समुदाय की सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया है और कहा है की यह घाटी के हर सच्चे मुसलमान का फर्ज़ है की अपने सिख भाइयो की रक्षा करे, कट्टर पंथी धड़े के सय्यद गिलानी ने भी कहा है की इन फर्जी पत्रो की परवाह सिख भाई न करे और आराम से घाटी मे रहे,, परंतु मेरे मुताबिक इतना ही काफी नहीं है,, भारत के हर नागरिक का यह फर्ज़ है की इस की आलोचना करें और अपने सिख भाइयो को हर तरह का समर्थन दे !!
वास्तव मे इस तरह की धमकी दे कर एक बार फिर इन आतंकवादी संगठनो ने साबित कर दिया की उनका मजहब सिर्फ खून खराबा है, और उनके असली दुश्मन हमारी एकता, हमारी संस्कृति और वह सूफी संत है जिन्होने हमें एकता और भाईचारे का संदेश दिया !! इस तरह की धमकिया देने वाले जान ले की सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के मन मे इस्लाम धर्म के लिए अपार प्रेम और अक़ीदत थी,, बल्कि उनके उनके प्रिय शिष्य भाई मरदाना एक मुसलमान थे !! गुरु नानक देव स्वयं बगदाद एवं मक्का मदीना की यात्रा पर गए थे
इस अलावा मुस्लिम सूफी संतो का सिख समुदाय से विशेष लगाओ रहा है जिसमे सब से ऊँचा नाम है हज़रत बाबा फरीद का,, सिख समाज मे उनको एक बहुत ही सम्मानित स्थान प्राप्त है उनके श्लोक आज भी सिख समाज की पुस्तकों मे मिल जायेगे,, पंजाब के शहर फरीद कोट का नाम पहले मोकलहर (1215) था और यहाँ के वासी तरह तरह की मुसीबतों से ग्रस्त थे ,, बाबा फरीद जब यहा आए तो उनके सम्मान मे इस जगह का नाम फरीदकोट पड़ा !! इस के अलावा यहाँ उनके नाम पर एक गुरद्वारा तिल्ला बाबा फरीद भी है !! मेरा एक सवाल है की क्या यह लोग जिन्होंने सिख्खों को धमकी दी है बाबा फरीद से भी ज़्यादा इस्लाम के मानने वाले हो गए है ,, जब उन्होने कोई धमकी न दी या चेतावनी न दी तो फिर यह कौन होते है सिख समाज को ऐसी धमकी देने वाले,, वास्तव मे यह सिख समाज के नहीं बल्कि बाबा फरीद और इस्लाम के ही दुश्मन है !!
सिख्खों के सब से पवित्र स्वर्ण मंदिर की बुनियाद भी सिख और मुस्लिम एकता की एक ऐसी मिसाल है जिसको कोई नहीं झुटला सकता है पाँचवे गुरु अर्जुन देव ने इसकी बुनियाद एक मशहूर सूफी संत हज़रत मिया मीर से रखवायी थी जो की गुरु के परम मित्रो मे थे ! फिर वही सवाल उठता है की यदि इस्लाम मे कट्टर पंथ की कोई जगह होती तो हज़रत मिया मीर क्यो इसकी बुनियाद रखते , क्या वह मुस्लिम नहीं थे , ऐसा नहीं है बल्कि वह ही असली मुस्लिम थे और असली इस्लाम के अनुयायी थे, उन्होंने तो कोई फतवा जारी नहीं किया सिख समाज के खिलाफ,, इस के साथ साथ यह भी ध्यान देने की बात है की गुरु अर्जुन सिंह देव के मन मे इस्लाम और सूफी संतो के लिए क्या स्थान था,, गुरु जी स्वयं सर्वोच्च स्थान रखते थे परंतु उन्होंने अपने पवित्र स्थल की बुनियाद रखने के लिए एक मुसलमान को चुना !! इसके अलावा हजारो उदाहरण है जो मुस्लिम और सिख समाज के रिश्तो को मज़बूती प्रदान करते है !!
एक बात और स्पष्ट करना ज़रूरी है की जिस समय सिख धर्म का उदय और यह फैला, भारत मे मुसलमान बादशाह थे और इन बादशाहों मे बादशाहत के सभी अवगुण मौजूद थे ! इनहोने सिख समाज पर भी बहुत ज़ुल्म किए परंतु इस्लाम के सच्चे अनुयायी और वारिस सूफी संत , औलिया अल्लाह हमेशा इस समाज के साथ खड़े दिखे !! आज फिर एक तरफ ज़ालिम और इस्लाम को बदनाम करने वाले बल्कि इस्लाम के असली दुश्मन आतंकवादी फिर सिख समाज को डरा धमका रहे है, और इस्लाम को बदनाम कर रहे है ! अब हमारे सामने एक ओर सच्चा इस्लाम है जो हमको बाबा फरीद , बुल्ले शाह और मिया मीर से मिला है और दूसरी तरफ वह ज़ालिम है जो सिर्फ और सिर्फ इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम कर रहे है वह भी धर्म के नाम पर,, हक और बातिल ( ज़ुल्म , झूठ ) हमारे सामने है ,, हमारा फर्ज़ है की हम हक के साथ खड़े हो और ज़ालिमो, झूठो और इस्लाम के असली दुश्मनों का पर्दा फ़ाश करे और उस विरासत की हिफाज़त करे जो हमको अपने दीन और सूफी संतो से मिली है !!
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