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अपनी बूढ़ी और कमजोर काया लिए हुए बस स्टेशन की बेंच पर बैठा दीनानाथ, आज से 40 साल पहले जब शहर आया था तो किसी पहेलवान से कम ना था, गाव मे खेती बाड़ी मे उसका दिल नहीं लगता था, पिता जी से रोज़ इस ही बात को ले कर तनातानी होती थी बस एक दिन गुस्से मे आकार घर छोड़ दिया,, माँ ने बहुत रोका लेकिन दीनानाथ ने एक न सुनी और घर छोड़ कर शहर आ गया एक ऐसी नगरी जहां कोई अपना ना था !! जल्दी ही उसको अहसास हो गया की वह अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल कर चुका है अपना घरौंदा छोडने की भूल, वह घरौंदा जहां चाहत थी, अपनेपन का अहसान था, दिल चौड़ा रहता था माँ बाप का साया था, उसको समझ मे आ गया की माँ बाप बच्चो के लिए एक दीवार, एक छत्त के समान होते है जो हर मौसम मे अपने बच्चो को आँचल की छाव और सुरक्षा का एहसास देते है इस का पता बस उस वक़्त लगता है जब से साया नहीं होता है !!
बहुत बार सोंचा की वापस लौट जाये लेकिन बस एक कसक थी , एक सोंच थी जिसने रोक लिया वह यह की किस मुंह से वापस जाये, बहुत ज़ोम मे आए थे, गाव वाले मज़ाक बनाएगे, बस धीरे धीरे वक़्त गुज़रता गया यहीं अपने मन से शादी कर ली गाव से ताल्लुक सिर्फ खत-किताबत तक रह गया या कभी कुछ पैसे भेज दिये बस,, धीरे धीरे वक़्त गुज़रता गया और खुद के बच्चे बड़े होने लगे,, सारी कमाई उनकी पढ़ाई लिखाई पर खर्च हो जाती थी, माँ बाप के लिए वक़्त और तंग हो गया ,, बस एक ही धुन थी की किसी तरह दोनों लड़के ऊंचे ओहदो पर लग जाये,, अपने इस ख्वाब को सच करने की धुन मे ऐसा खोया कि अहसान ही न हुआ कि जीवन की शाम दस्तक दे रही है !! कहते है वक़्त स्वयं को दोहराता है, बच्चे बड़े हुए तो अपनी दुनिया मे मस्त, नए जमाने के रंग मे रंगे हुए, सब से पहले बड़ा बेटा अलग हुआ, फिर छोटा बेटा भी बाहर एक अच्छी नौकरी पा गया अब दोनों को इन बूढ़े माँ बाप कि कोई ज़रूरत नहीं थी ठीक वैसे ही जैसे कभी दीना नाथ को नहीं थी !! दोनों बूढ़े बूढ़ी अकेले हो गए !! आज दीना नाथ शायद उस दर्द को महसूस कर सकता था जो कल उसके अपने माता पिता ने महसूस किया था ,, आज वह उस घड़ी को कोसता था जब उसने घर छोड़ा था, लेकिन बीता वक़्त तो वापस नहीं आता है!
पत्नी तो अपने बच्चो के जाने के बाद एकदम टूट गयी थी और कुछ दिनो के बाद उसकी साँसो कि डोर भी टूट गयी अब दीना नाथ के पास कुछ ना था वह सब कुछ गवा चुका था, एक बार फिर उसको अपना गाव अपना घर याद आने लगा,, उसकी माँ अभी तक ज़िंदा थी बस वह किसी तरह वापस उसके पास लौट जाना चाहता था वापस अपने घरौंदे मे अपनी माँ के पास, उसकी गोंद मे उसको पूरा यकीन था कि माँ का प्यार इन 40 सालो मे कम नहीं हुआ होगा !! शायद बच्चो को माँ बाप कि ज़रूरत सिर्फ उस वक़्त महसूस होती है जब वह अकेले और कमजोर होते है चाहे वह बचपन हो या फिर बुढ़ापा !!
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