- 34 Posts
- 542 Comments
आखिरकार 60 सालो के बाद कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया ! एक बेहद संतुलित फैसला जिसमे हर पक्ष की भावनाओ को पूरा पूरा सम्मान दिया गया ! यदि हम कुछ नेताओ और नफरत के व्यापारियो को छोड़ दे तो पूरे देश ने इस फैसले का स्वागत किया, पूरे देश मे शांति व्यवस्था बनी रही और कहीं से कोई बुरी खबर नहीं आई !! फैसले के अगले दिन जुमा था, शरारती तत्व इस का फायदा उठा सकते थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ जो अपने आप मे एक सुबूत है की देश का मुसलमान कोर्ट के फैसले से संतुष्ट है और देश मे अमन / भाई चारा चाहता है !!
एक विशेष बात जो देखने को मिली की जुमा की नमाज़ मे होने वालों खुतबों मे लगभग सारे इमामो ने कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने की बात की और आपसी भाई चारे, एकता और अमन चैन की दुआ मांगी!
जहां तक सुन्नी वक्फ बोर्ड या बाबरी मस्जिद एक्शन कोमेटी का सवाल है तो मेरा मानना है की इन संस्थाओ ने आम मुसलमानो का का कभी भी प्रतिनिधितव नहीं किया है , ना ही उनकी समस्याओ को समझा है और नहीं कभी मुस्लिम समाज को ऊपर लाने के लिए कोई प्रयास किया है ! अयोध्या का मसला कभी भी आम हिन्दू या मुसलमानो के बीच झगड़े की वजह नहीं था और ना है,, यह मसला राजनीतिज्ञो ने बिगड़ा था वरना या कब का हल हो गया होता !! मुझे यह जानकार हैरत और गर्व दोनों हुआ कि :
1) स्वर्गीय रामचंद परमहंस और हाशिम अंसारी बहुत अच्छे मित्र थे और अक्सर एक ही रिक्शे या कार से साथ साथ अदालत जाते थे !!
2) रामलला के कपड़े सिलने का काम राम जनम भूमि के मुख्य पुजारी ने एक मुसलमान को दिया और वह मुसलमान इस काम को करने मे गर्व महसूस करता है !!
3) मंदिर के बाहर फूल बेचने वाला मुसलमान भी है और किसी भी राम भक्त को इस पर एतराज़ नहीं है !!
यही असली भारत है और यही असली भारतीय ! मैंने पहले भी लिखा था कि हिन्दू मुसलमानो को कभी अलग नहीं किया जा सकता और एक बार फिर दोहराना चाहता हूँ कि इन दोनों को अलग करना नामुमकिन है और मेरे इस कथन पर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी कि दोनों हमेशा साथ थे और रहेंगे !!
मुसलमानो मे देश भक्ति कूट कूट कर भरी है, वह भी आगे आना चाहते है, देश के लिए कुछ करना चाहते है, बस कमी है तो एक कुशल और सकारात्मक लीडरशिप की जो उनका सच्चा प्रतिनिधित्व करे और समाज को अपने स्वार्थ के लिए आग मे न झोंके !!
मेरा अनुरोध है कि मुस्लिम समाज के धर्मगुरु अब आगे आए और मुस्लिम समाज को संकुचित सोच, पिछड़े पन से बाहर निकाल कर एक राष्ट्रवादी सोच और प्रगतिशील समाज बनाए, इस लक्ष्य की प्राप्ति सिर्फ सही इस्लामिक ज्ञान जिसका मूल आधार शांति, सत्य, त्याग और भाईचारा है और आधुनिक शिक्षा से ही संभव है !!
Read Comments