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अयोध्या पर फैसला : मुस्लिम रहनुमाओ ज़रा सोंचो !!

मेरा भारत महान
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अयोध्या पर फैसले से जहां आम मुसलमानो ने राहत महसूस की है, वहीं कुछ मुस्लिम रहनुमाओ की रातो की नींद उड़ गयी, और उड़े भी क्यो ना अच्छी ख़ासी चलती दुकान बंद होती नज़र आने लगी, अब उनको कौन पुछेगा, कोई कहता है हमको यह फैसला मंजूर नहीं, कोई कह रहा है की बातचीत की कोई गुंजाइश ही नहीं है, पता नहीं इनको यह अधिकार किसने दिया इस तरह के शब्द बोलना तो शायद इस्लाम के भी खिलाफ है क्यो की इस्लाम मे बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले रखने को कहा है, यदि कोई मुस्लिम विद्वान मेरी बात से सहमत ना हो तो मैं उसको कर्बला की ज़मीन पे ले जाना चाहता हूँ जहां की इमाम हुसैन आखिर तक अपने दुश्मनो को समझाते रहे और अपने लोगो को मना करते रहे की हम अपनी तरफ से लड़ाई शुरू नहीं करेंगे और समझाते रहे की शायद कोई ऐसा हल निकाल आए की खून खराबा ना हो , तो क्या आज के इन रहनुमाओ ने यह बाते नहीं पढ़ी है यह वह जानकार यह सब बताना नहीं चाहते है !!

 

अयोध्या के विवाद को करीब 60 साल हो गए और 1986 से जब इसका राजिनीतिकरण हुआ तब से अबतक हजारो जाने इस विवाद की भेट हो चुकी है जिनमे ज़्यादातर मुसलमान थे, क्या कभी आप ने इन मुस्लिम परिवारो का हाल जानने की कोशिश की  ? क्या कभी ऐसा हुआ है की दंगो के कारण आपके घर मे एक वक़्त खाना न बना हो और आप भूखे रहे हो नहीं शायद कभी नहीं,, आपको को सुरक्षा के नाम पर सरकार सब कुछ दे देती है लेकिन एक आम मुसलमान क्या करे ज़रा सोचिए !!

 

कुरान मे बहुत जगह कहा गया है की अल्लाह की ज़मीन पर फसाद न फैलाओ तो क्या आप के बयान और हरकते फसाद नहीं फैला रही है अगर कल आप के बयानो से कहीं सांप्रदायिक तनाव होता है तो क्या आप कुरान और अल्लाह की पकड़ मे नहीं आते है ?? इस ही तरह कुरान मे बहुत जगह आया है की फ़ितना (विवाद पैदा करना)  फैलाना कत्ल से बढ़ कर है क्यो की कत्ल मे तो एक ही जान जाती है परंतु विवादो मे हजारो जाने चली जाती है तो फिर आज एक मौका मिला और एक फ़ितना खत्म करने का तो आप उसको खत्म करना क्यो नहीं चाहते है। क्या फिर आप कोर्ट मे जाकर फिर अगले 50-60 साल अपने समुदाए और समाज को नफरत और अविश्वास की आग मे झोकना चाहते है , ज़रा सोचिए आज की एक ग़लती और हठ आप के कमजोर और बेहद पिछड़े मुस्लिम समाज को पता नहीं कितने सालो तक नुकसान पहुचाएगी ??

 

आप इस केस के मुस्लिम जज एसयू खान की टिप्पणी देखे , किस कदर गहरी और परिपक्व है की “भारतीय मुसलमान ऐसी सर्वोत्तम स्थिति में हैं कि वे मौजूदा प्ररिप्रेक्ष्य में इस्लाम की शिक्षा का प्रसार करें। उसकी सही स्थिति से लोगों को वाकिफ कराएं। भारतीय मुसलमान विश्व को इस्लाम का सही अर्थ बताने में सक्षम हैं।” न्यायमूर्ति खान के अनुसार, “भारतीय मुसलमानों को विरासत में अथाह धार्मिक शिक्षा और ज्ञान मिला हुआ है। इसलिए वे दुनिया को यह बताने की बेहतर स्थिति में हैं कि इस्लाम की शिक्षा का असली मतलब क्या है और वर्तमान संदर्भ में उसे कैसे लागू किया जा सकता है। इसी क्रम में उन्होंने आगे कहा है कि पेश विवादित मामले को हल करने की दिशा में अपनी भूमिका से वे इस काम की शुरुआत कर सकते हैं !

 

उपरोक्त टिप्पणी वास्तव मे मुसलमानो के लिए एक मार्गदर्शन है और अयोध्या का फैसला एक मौका है खुद को एक शांतिप्रिय समाज साबित करने का, अब देखना है की हम इसका उपयोग कैसे करते है !! मेरा अनुरोध है तमाम मुस्लिम रहनुमाओ और बुद्धिजीवों से की यह अवसर जो आपको मिला है इस को बेकार न जाने दे और अपनी क़ौम को फिर उस आग मे ना झोंके जिससे वह आज अल्लाह की मेहरबानी से बाहर आ गयी है ,, इतना बड़ा मसला हल हो गया और देश मे कहीं भी दंगा फसाद नहीं हुआ, यह अपने आप मे एक लगभग अविश्वसनीय घटना है, तो अब आप क्यो महोल को गंदा कर रहे है ,, क्या आप फिर देश और मुस्लिम समाज को 1992 का महोल / मुंबई जैसा दंगा / साबरमती कांड / गुजरात जैसी आग मे झोकना चाहते है !

 

कृपया आगे आए और अपने समाज को सकारात्मक सोच दे फ़ितना / फसाद न फैलाये और आने वाली नसल को शांति, भाईचारा और सदभाव का माहोल दे !!

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