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क्या इस्लाम वास्तव मे वैदिक धर्म का ही प्रसार है ??

मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
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सबसे पहले धन्यवाद देना चाहता हूँ एसडी वजपायी जी को, जिनहोने, एक अत्यंत महात्वपूर्ण विषय को चुना और जागरण जंक्शन के पढ़ने वालों को एक नयी सोच दी !! हालांकि मैं स्वयं को इतने महत्वपूर्ण विषय पर लिखने के योग नहीं समझता हूँ लेकिन फिर भी जो थोड़ी बहुत जानकारी है उसको जागरण जंक्शन के मित्रो से शेयर करना चाहता हूँ !! भारतवर्ष इस्लाम और मुसलमानो के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है !! पैग़ंबर मोहम्मद साहब के खलीफा हज़रत अली के अनुसार अल्लाह ने नबी आदम को दुनिया मे जिस जगह भेजा वह जगह सारंदीप थी !! यह जगह अब लंका मे है !! लंका से नबी आदम भारत होते हुए जेद्दाह (सऊदी अरब) गए और वहाँ हज़रत हव्वा को लेकर वापस भारत आए और यहीं रहने लगे, और यहीं उनका वंश बढ़ा,  अयोध्या मे हज़रत शीश कि मज़ार जो हज़रत आदम के तीसरे बेटे थे  इसका सुबूत है!! अब सवाल उठता है कि :

 

1) जब इस्लाम यह मानता है कि दुनिया मे सबसे पहले मनुष्य आदम थे और आदम अल्लाह के नबी और खलीफा थे तो यह बात खुद ही साबित हो जाती है कि जिस प्रकार सबसे पहले व्यक्ति भारत मे बसा उस ही तरह सब से पहला धर्म , सबसे पहला नबी और सबसे पहला ईश्वरीय आदेश भी भारत मे आया और यहीं से वह धर्म / लोग और संस्कृति पूरे विश्व मे फैली !! अब इस विश्व के पहले धर्म को आप जो नाम दे, चाहे वैदिक धर्म, चाहे दीने इस्लाम  !!

 

2) हज़रत आदम से यह दीन (वैदिक धर्म / दीने इस्लाम) पूरी दुनिया मे फैला,, और जब जब इस मे  बिगड़ पैदा हुआ और लोग विधर्मी होने लगे, अल्लाह ने अपने दूत ( पैग़ंबर या अवतार ) भेजे उनके मार्ग दर्शन के लिए यह बात कुरान मे स्पष्ट है,, इस ही तरह गीता मे भी कहा गया है कि धर्म कि रक्षा के लिया मैं अवतार लेता हूँ !! क्या यह दोनों इस ओर इशारा नहीं करते है कि इनका स्रोत एक ही है !!

 

3) कुरान मे अल्लाह ने कहा है कि हर क़ौम कि तरफ पैग़ंबर भेजे गए है, तो क्या मुमकिन नहीं है कि श्री कृष्ण, गौतम बुध आदि भी भेजे गए पैग़ंबर हो, इस्लाम के अनुसार 125,000 (कुछ कम या कुछ ज़्यादा ) पैग़ंबर धरती पर आए है और सबको मानना , सब की इज्ज़त करना फर्ज़ है !!

 

4) कुरान और पैग़ंबर मुहम्मद साहब से साफ कहा है कि इस्लाम कोई नया दीन नहीं है बल्कि यह वही दीन है जिसके मानने वाले आदम से लेकर ईसा तक थे ! अब दूसरी ओर से देखे तो यह सारे पैग़ंबर / अवतार वही दीन को मानने वाले है जो भारत से शुरू हुआ !!

 

5) कुरान मे आसमानी जहीफ़ों (किताबों) का उल्लेख है जो अल्लाह ने अपने नबियों को दी,, मैंने कई विद्वानो को यह लिखते देखा है कि चारो वेदो मे लिखी वाणी ईश्वरी है !! वेदो मे कल्कि अवतार का जो उल्लेख मिलता है,, कई उच्च कोटी के विद्वान मानते है कि यह चरित्र पैग़ंबर मुहम्मद साहब से बहुत मिलता है तो क्या एक ही श्रंखला नहीं है जो आदम (मनु) से शुरू है और मुहम्मद साहब (कल्कि) तक चली !!

 

अब सवाल उठता है कि जब स्रोत एक ही है तो फिर भिन्नता क्यो ?? इसका सटीक उत्तर यह है कि जब आदम या मनु कि संताने पूरी दुनिया मे फैली तो भावगोलिक परिस्थितिया / जलवायु आदि वह कारक थे जिनकी वजह से इनके खान पान / रहन सहन आदि मे परिवर्तन आता गया और धर्म कभी भी इन परिवर्तनो को नकारता नहीं है !!

 

भारत मे शाकाहार को उच्च स्थान मिला तो उसका कारण था कि यहा कि धरती हरी भरी थी और यदि अरब मे मांसाहार है तो कारण यह कि वहाँ कुछ उगता ही नहीं था तो जीवन यापन मांसाहार के बिना संभव ही न था !! इस ही तरह कई ऐसे नियम है जैसे तलाक /  4 शादिया आदि जिनको समझने के लिए उस वक़्त के हालत और लोगो का मिजाज समझना बहुत ज़रूरी है,, साथ साथ या भी समझ ले कि इन नियमो तो फर्ज़ नहीं करार दिया गया है !!

 

इस ही तरह धार्मिक ग्रंथो मे भी भाषा आदि के कारण कभी कभी नामो मे भी परिवर्तन दिखाई देता है जो होता नहीं है !! उदाहरण के तौर पर अरबी मे आदम तो इंग्लिश मे एडम, कुरान मे एक शब्द आया  है “जुल किफल” जिसका अर्थ है किफल वाले और कई इस्लामिक विद्वान इसका हिन्दी अनुवाद “कपिल वाले” करते है यानि की “गौतम बुध” !!

 

वास्तविकता यही है कि ईश्वर एक है , हम सभी एक माता / पिता की संताने है ,, अब सबके मार्ग अलग अलग हो सकते है, हर किसी को अपने मार्ग को सही कहने का तो पूरा अधिकार है , परंतु दूसरे के मार्ग को गलत ठहराने का कोई अधिकार किसी को नहीं !!

 

मेरा अनुरोध है की इस विषय को और आगे बढ़ाए और देश मे एकता की एक नयी सोच विकसित करें !!!

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