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अमेरिका की नज़र मे भारत / विकीलीक्स के खुलासे !!

मेरा भारत महान
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हमारा देश आज भी अमेरिका, अंग्रेजो और अंग्रेज़ी का गुलाम (मानसिक तौर पर) है, और आज भी एक छोटा सा वर्ग है जो इस गुलामी के खिलाफ संघर्ष कर रहा है और हिन्दी, हिन्दू ( जिसमे मैं सारे हिन्दुस्तानियो को रखना चाहूँगा जो भारतीय है चाहे वह किसी भी धर्म के हों ) हिंदुस्तान के नारे को साकार करने मे जी जान से जुटा है !!

 

पहले भी कई बार हमारे नेताओ और सरकारो ( चाहे कॉंग्रेस हो या  बीजेपी )  के माई बाप (अमेरिका और अंग्रेज़) हमे अपमानित करने के अनेक कारनामे कर चुके है और हमारे कर्णधार उनके सामने हाथ जोड़ते ही नज़र आए चाहे वह “भोपाल गैस त्रासदी” मे हजारो भारतीय जानो का मामला हो, अमेरिका मे जॉर्ज फर्नांडीस की तलाशी हो, महात्मा गांधी की समाधि पर कुत्तो को ले जाना हो या और कोई, ऐसे दर्जनो मामले हुए लेकिन हमारे कर्णधारो ने कोई न कोई कारण दे कर अपने मालिक की वफादारी निभाई लेकिन हाल के विकीलीक्स के खुलासो  ने अमेरिका की हमारे प्रति सोच और नीतियो  को सामने ला दिया है!

 

1) एक ओर जहां अमेरिका सामने तो भारत के सुरक्षा परिषद की दावेदारी का सम्मान करता है तो दूसरी ओर     गुप्त रूप से इसकी खिल्ली उड़ाता है, और नहीं चाहता है की भारत को इसकी सदस्यता मिले  !!

 

2) अमेरिका की नजरों मे भारत एक दब्बू देश है जो किसी भी हमले का जवाब नहीं दे सकता है

 

3) मुंबई हमले के बाद जहां अमेरिका ने दिखावे के तौर पर तो भारत के साथ होने का दावा किया लेकिन अंदर ही अंदर पाकिस्तान से दोस्ती निभाता रहा और निभाता भी क्यो न क्यो की दोनों का मक़सद एक है और वह है भारत को कमजोर करना !!

 

4) मुंबई हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान की पल-पल की जासूसी करा रहा था अमेरिका आखिर क्यों,  अमेरिका का उद्देश क्या था दोनों की जासूसी के पीछे ,, कहीं उसको डर तो नहीं था की असली गुनेहगार सामने ना आ जाये !! एक बात और जिस तरह अमेरिकी / पाकिस्तानी जासूस हेडली का नाम मुंबई हमले मे आया और जिस प्रकार अमेरिका ने भारत को हेडली से पूछताछ मे जो रुख अपनाया वह अपने आप मे एक गहरा राज़ है !! क्यों हेडली को भारत को नहीं सौपा गया जब की वह भारत का अपराधी था और उसके जुर्म क़स्साब से कम नहीं है !!  

 

5) मुंबई हमले के बाद आईएसआई और इजराइल की साठगांठ : दो ग्रुप जो एक दूसरे के धूर विरोधी एक आतंकवाद के जनक और पालने वाले दूसरे तथाकथित आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले,, दोनों की साठगांठ आखिर किस मक़सद के लिए !! 

 

 (वि‍कीलीक्‍स के खुलासे दैनिक भास्कर की वैबसाइट पर देखे :  http://bhaskar.com/international_news/wikileaks-expose/)

 

ऐसे बहुत से सवाल है जिनके बारे मे आज हमे सोचना होगा वरना  बहुत देर हो जाएगी !! यह जान लीजिये की चाहे अमेरिका हो या अन्य विकसित देश यह भारत के हमदर्द कभी नहीं होंगे,, क्यो की यह कभी नहीं चाहेंगे की कोई देश इन के सामने खड़ा हो और फिर वह भारत जैसे देश जहां हर तरह के संसाधन मौजूद हों, भारत की मजबूती और विकास तो इनकी आंखो मे खटकता है , अगर भारत स्वाभिमानी, मजबूत और विकसित हो गया तो इस देशो की दादगीरी कौन देखेगा ,, इन्हे तो हर तरह भारत को कमजोर  रखना है !! और इस काम मे इन का पाकिस्तान से अच्छा सहयोगी कौन होंगा !!

 

भारत से इन देशो की दिखावटी मुहब्बत का कारण सिर्फ और सिर्फ “विशाल भारतीय बाज़ार” है, जहां यह अपने उत्पाद बेचे और मोटा मुनाफा कमाए, इस काम मे इनके मददगार है भारतीय जयचंद और मीर-जाफ़र जो सभी माध्यमो से इनके उत्पादनों को और इनकी बेशर्म और गंदी सोचो को हम पर ऐसा हवी कर रहे है की हमे  यही अच्छे लगते है, सब से पहले टीवी आदि माध्यमो से हमारी सोच दूषित की जाती है फिर धीरे से इन चीजों को समाज मे डाल दिया जाता है, और स्वतंत्रता के नाम पर इनको मनवाने की कोशिश की जाती है “लिव इन रिलेशन”  इस का उदाहरण है !!            

 

अंत मे किसी को दोष देने से बेहतर है की हम खुद अपनी कमियो को दूर करे जिसका फायेदा दूसरे उठा रहे है,, हम खुद आपस मे एक बने और अपने देश, देशवासियों और संस्कृति पर गर्व करे और इस डोर को इतनी मजबूती से थामे रहे की हमे कोई डिगा न सके !!

 

यह ज़िम्मेदार हम युवाओ की है की एक स्वदेशी, स्वाभिमानी भारत का निर्माण करे जहां  जयचंद और मीर-जाफ़र का कोई स्थान न हो !!

 

जय भारत , जय भारतीयता !!  “गर्व से कहो हम भारतीय है”

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