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आम तौर पर मीडिया मे भारतीय मुसलमानो के बारे मे कुछ अच्छा पढ़ने को कम ही मिलता है, परंतु पिछले दिनो दुनिया मे तहलका मचा देने वाली विकिलीक्स ने एक केबल का खुलासा किया जिसमे दर्शाया गया है की ” भारत के अधिकतर मुसलमानो, खासकर युवाओ का रुझान आतंकी संगठनो की तरफ ना के बराबर ही है, और जो थोड़ा बहुत था भी वह दिन ब दिन सिकुड़ता जा रहा है ज्यादातर मुस्लिम भारत की मुख्य धारा मे जुड़ना चाहते है और आर्थिक उन्नति मे बराबर का हिस्सा लेना चाहते है !” यह केबल / रिपोर्ट भारत मे युवाओ की आतंकी संगठनो मे भर्ती पर था !
इसके आगे लिखा है की “भारत की मिलीजुली संस्कृति और आर्थिक विकास ने मुस्लिम युवाओ की राह हमवार की है अपने को मुख्यधारा मे लाने की !” हमेशा की तरह एक बार फिर यह खबर मीडिया मे उतनी सुर्खिया ना बटोर सकी जितनी मिलनी चाहिए थी !!
मेरा मानना है की मीडिया जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है को मुस्लिम समाज के सकारात्मक पक्ष को प्रमुखता से स्थान देना चाहिए,, अक्सर देखा गया है की किसी भी घटना के बाद पुलिस के कुछ कहने से पहले ही मीडिया का एक वर्ग (खासकर टीवी समाचार चेनल) अपनी सारी सुइया / शक इधर उधर घुमाने लगते है और कुछ ही घंटो मे नाम / पते / घटना की साजिश कहा रची गयी आदि सब कुछ सामने रख देते है , यानि जो काम हमारी जांच एजेन्सीस कई दिनो मे कर पाती है वह हमारे टीवी चेनल कुछ ही घंटों मे कर देते है !! टीवी चेनलों का यह इन सब के पीछे सिर्फ एक कारण है वह है अपनी टीआरपी बढ़ाना और व्यावसायिक हित साधना !! वैसे टीवी चेनल्स आज कल समाज को क्या शिक्षा दे रहे है किसी से छुपा नहीं है !!
एक और महत्वपूर्ण तथ्य जो इस केबल मे सामने आया है वह यह की भारत मे कई इस्लामिक धार्मिक एवं राजनीतिक दल है लेकिन ज्यादातर मुस्लिम्स उन दलो का समर्थन करते है जिनकी धार्मिक पहचान नहीं है ! कश्मीर को छोड़ कर भारत मे कहीं भी ऐसे मुस्लिम संगठन ना तो लोकप्रिय है और ना ही उनको मुस्लिम समाज का समर्थन हासिल है !!
एक भारतीय और देशभक्त मुस्लिम होने के नाते मेरे लिए यह रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण और सुखद है, मेरा समाज के अन्य वर्गो ( जिनका मुस्लिम समाज से ज़्यादा संवाद नहीं है ) से अनुरोध है की एक आम भारतीय मुसलमान भी आप ही की तरह अपने देश और अपने समाज से प्यार करता है , वह भी आतंकवाद / सांप्रदायिकता / नेता गीरी / बे रोजगारी और भ्रष्टाचार से उतना ही पीड़ित है जितना आप / जो अच्छाइया आप को अपने समाज मे मिलेंगी वह वह भी मिल जाएंगी , जो बुराइया और कमिया मुस्लिम समाज मे है वह आप को अपने समाज मे भी मिल जाएंगी, तो फर्क कहा है !
किसी भी वर्ग या समाज मे ना तो सभी 100% लोग अच्छे होते है और न 100% लोग बुरे,, हमारी कोशिश होनी चाहिए की अच्छाई को आगे लाये और बुराई को रोके , मुस्लिम समाज से मेरा अनुरोध है की अगर एक व्यक्ति गलत काम करता है तो मुस्लिम समाज के 100 व्यक्तियों को अच्छे कामो मे आगे आना चाहिए ! यहाँ एक मुस्लिम विद्वान का एक वाक्य लिखना चाहूँगा जो मैंने पिछले दिनो पढ़ा वह है की “वतन से मुहब्बत ईमान का दर्जा रखती है” इस वाक्य से यह साबित हो गया की जो वतन (भारत) के दुश्मन है तो उनका ईमान तो जाता रहा ( यानि खत्म हो गया ) मीडिया को भी चाहिए की देशभक्त और प्रगतिशील विचारो वाले मुसलमानो को तरजीह दे और आगे लाये साथ साथ मुसलमानो के सकारात्मक पक्ष को भी उतनी प्रमुखता और स्थान दे जितनी नकारात्मक पक्ष को दी जाती है !!
मुस्लिम समाज को भी आत्ममंथन करना होगा,, यदि हम सच्चर समिति की रिपोर्ट देखे तो शिक्षित मुसलमानो की संख्या देखकर ही सर शर्म से झुकने के लिए काफी है , जिस धर्म की शुरुआत “इकरा” यानि पढ़ो शब्द से हुई,, उसको मानने का दावा करने वाले इतने जाहिल ?? आशिक्षित लोगो से ज़्यादा शिक्षित लोगो को शर्म आनी चाहिए की उनहोने अपने समाज के लिए क्या किया !! स्त्रियो मे तो यह संख्या और भी कम है ! जिहालत या आज्ञानता ही हर बुराई की जड़ है,, हमे हर बात के लिए सरकार की तरफ देखना और हर कमी के लिए दूसरों को इल्ज़ाम देने की आदत छोडना होगा !!
अंत मे एक बार फिर मैं जागरण जंक्शन को धन्यवाद दूंगा जिन्होंने एक प्लेटफार्म दिया अपनी बात रखने का !!
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http://bbc.co.uk/hindi/india/2010/12/101218_malford_wikilieakes_pp.shtml
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