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यह देश है मेरा, स्वदेश है मेरा !

मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
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SAD

आंखे धुंधला गयी है लेकिन जहन मे अभी तक 15 अगस्त का सूरज ताज़ा है, इतनी हसीन सुबह कभी नहीं हुयी, यह सुबह थी एक आज़ाद देश की जो वर्षो के बाद गुलामी से आज़ाद हुआ था, ऐसा लगता था जैसे सब कुछ नया हो, नयी ज़मीन, नयी हवाए, नया माहौल, हर तरफ बस खुशिया ही खुशियां थी और मैं भी उनमे शामिल था ! मेरी खुशियो मे एक दर्द का भी एहसास था, सियासतदानो ने अपनी गद्दी के लिए मेरा जिस्म के एक हिस्से को काट दिया और अपने जुर्म को छुपाने के लिए इस पर मजहब की चादर डाल दिया, लाखो नवजवान इनके बहकावे मे आ गए और मेरे जज़्बात को समझे बग़ैर मजहब के नाम पर मुझे काटना शुरू कर दिया , भाई ने भाई का खून किया कहीं जिस्मानी तौर पर तो कहीं जज्बाती तौर पर, कहीं बेटा अपने बेसहारा बूढ़े बाप को छोड़ कर इस नए देश चला गया तो कहीं बाप अपने मासूम बच्चो मे छोड़ कर, मुझे तो दोनों तरफ से जख्म ही मिला, 10 लाख के करीब लोग मारे गए, दोनों तरफ से रेल गाड़िया लाशों से भरी आती थी , धर्म और मजहब के नाम पर जो खून बहाया जा रहा था वह खून तो किसी का अलग नहीं था उसका रंग सिर्फ लाल था चाहे वह किसी के जिस्म का हो ! लोग कहते थे की मियां तुम क्यो यहा बैठे हो अपने वतन चलो, वहीं हमारा मुस्तकबिल है, मैं सोचता था की कैसे नादान है अरे हमारा वतन तो यह है जहां हम सालो से रहते आए है , जहां हमारे पुरखे दफन है, जहां की रोटी हम खाते है , जहां की मिट्टी मे हम खेलते है तो रातो रात यह कैसे बदल सकता है , लेकिन कुछ लोगो के सिर पर तो बस जुनून चढ़ा था और यह जुनून 10 लाख लोगो की बलि लेकर भी शांत नहीं हुआ !

 

मैं डरता सिकुड़ता अपनों की बेवफ़ाई और जुदाई को सहता हुआ अपने देश और अपनी मिट्टी मे अपना वजूद तलाशता रहा और खुद को फिर से खड़ा करने की कोशिश करता रहा, मजहबी फसादात मुझे कमजोर करनी की कोशिश करते रहे लेकिन धीरे धीरे हालत ठीक होने लगे और मैं भी  देश के दूसरे लोगो के तरह खुशहाल और तरक़्क़ी कर रहा था !  लेकिन एक बार फिर देश मे फिरकापरस्त ताकते उभरने लगी जिनके निशाने पर सीधे तौर पर मैं था, यह ताकते बहुत थोड़ी सी थी लेकिन इनका  चेहरा और मिशन बहुत भयवाह था इन का मक़सद यह था की देश मे रहने वाले अन्य वर्गो के मन मे यह बात बैठा देना की देश मे सारे फसाद और समस्याओ की जड़ यही लोग ( यानि मैं ) है, अपने को बुद्धिजीवी कहने वाले लोगो ने हमारी मुक़द्दस किताब और हस्तियो को निशाना बनाया और जो काम तलवार या गोली से नहीं हो सकता वह इन हो ने अपनी कलम से करने की कोशिश की, पूरे देश को दो हिस्सो मे बाटने चाहा, लेकिन इन के इस मिशन मे हमारी एकता और भाईचारा सबसे बड़ा रोड़ा बन गया और इनके मंसूबे बहुत हद तक नाकाम हो गए !

 

यह खतरा अभी खत्म नहीं हुआ था की मेरे ही कुछ अपने मेरे दुश्मन बन बैठे और दहशतगर्दी ने जनम लिया, करतूत कुछ लोगो की थी लेकिन वह ताकते जिनका मक़सद मुझे बदनाम करना था, उन्हे तो सुनहरा मौका मिल गया , बड़े बड़े लेख लिखे जाने लगे चंद लोगो की करतूत को पूरे समाज पर लादने की कोशिश होने लगी, मेरी फ़रयाद सुनने वाला कोई नहीं था ना तो अपने और ना ही दूसरे, दूसरों के तर्क थे की ज़्यादा तर घटनाओ के पीछे आपके ही लोग होते है, मेरे कहना था नहीं देश मे और भी सिरफिरे लोग जैसे माओवादी / नक्सलवादी जैसे कई ग्रुप है तो बस हर बात का शक हम पर ही क्यो, फिर समाज के चंद लोगो की करतूत पूरे समाज पर कैसे लादी जा सकती है, परंतु मेरी कौन सुनता है ,, दूसरी तरफ कोशिश करता हूँ, समझाना चाहता हूँ  की क्यों अपने देश और मजहब से गद्दारी करते हो और अपनी दुनिया और दीन आखरत बिगाड़ रहे हो तो जवाब मिलता है की तुम जैसे कमजोर और डरपोक ऐसे ही बोलते है देखा नहीं 92 मे क्या हुआ था , मेरठ , हाशिमपुरा भूल गए हो, गुजरात के दंगो मे जिस तरह औरतों और बच्चो को निशाना बनाया गया उसका जवाब कौन देगा, इन सब के जिम्मेदार खुले आम घूम रहे है, टीवी पर आकार अपने कारनामे बता रहे है लेकिन कुछ नहीं होता, क्या राष्ट्रवाद के नाम पर इनको सब जायज़ है ! वहाँ से भी मुझे लताड़ ही मिलती है समझ मे नहीं आता है कहाँ जाऊं और कैसे समझाऊँ, बस उम्मीद की एक ही किरन बाक़ी है वह है  देश का बहुसंख्यक तबका और मेरी नयी नस्ल, जो खामोशी से अपनी तरक़्क़ी मे लगी है और एक सच्चे भारतीय की तरह अपनी ज़िंदगी बिताना चाहती है, उसको ना तो कट्टरपंथ से कुछ लेना है और ना ही दहशतगर्दी से, जिनको गर्व है अपनी सांझा विरासत पर और संस्कृति पर, जो इतिहास की गलतियो का बदला आज से नहीं लेते है !

 

उम्मीद है की जल्दी हालत बदलेगे, यह देश मेरा है यह मेरी मिट्टी है, मेरा स्वदेश है, मेरी आन है, मेरी शान है और मेरी उम्मीद भी !      

 

शायद आप मेरा नाम जानना चाहेंगे ज़रूरी नहीं है लेकिन फिर भी बता देता हूँ मैं भारत का मुस्लिम समाज हूँ जिसकी आवाज़ को कोई नहीं सुनता और ना जिसके दर्द को कोई महसूस करता है !!

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